भला करोगे भला मिलेगा, बुरा करोगे अनुराग कश्यप मिलेगा

खून निकल रहा है. बैकग्राउंड में शास्त्रीय संगीत. सेक्स के बाद बाबा रामदेव की आती हल्की सी आवाज़, 'ये आसन कई बार करें.' शिक्षित बेरोजगार. ऑन कैमरा- बोल नहीं मारेंगे अब कभी, बोल बे बोल. मारो इसको बोलता नहीं है कि नहीं मारेंगे.

अबे तुमको देखी तक नहीं. देखने वो थोड़ी आई थी, हम आए थे.  इंग्लिश काहे बोल रहे हो, एक तो वैसे ही सिर पर चोट लगा हुआ है. देश बदल रहा है, ठाकुर अहिर का बर्तन उठा रहा है. माइक टाइसन हैं यूपी के. पैंट खोलिए वरना अभी देश बदल देंगे.

अनुराग कश्यप फिल्मी दुनिया के महात्मा गांधी हैं. ये एक थप्पड़ खाने के बाद दूसरा गाल आगे करता है. लेकिन उस गाल पर पहले गाल पर लगे थप्पड़ की वजह अपने तर्कों के साथ टैटू बनकर गुदी होती है. जो थप्पड़ मारने वाले को कल्लानी तय है. 'भारत माता की जय.'



भला करोगे भला मिलेगा, बुरा करोगे अनुराग कश्यप मिलेगा. जब 'टॉयलेट एक प्रेम कथा' जैसी फिल्में सत्ता के आगे बिछ सी जाती हैं और छोटी-छोटी बातों पर फिल्में बैन हो जाती हैं. तब कोई डायरेक्टर एक फिल्म को सीधे-सीधे देश में जो भी हो रहा है, उस पर उन्हीं के तर्कों के साथ हमला करता है. वो इस सफाई से लगभग सारे राष्ट्रीय मुद्दे कट्ठा करता है, एक बक्से में भरता है और ऊपर 'भारत माता की जय' लिखकर फेंक देता है. मौजूदा राजनीतिक परिस्थिति में सामने वाले के पास दो ऑप्शन हैं, बक्सा पकड़ने की कोशिश में चोटिल होए या बक्सा न पकड़े और फिर भी चोटिल होए.

विक्ट्री सिंबल वाली सेल्फी. जेल में प्यूमा की जुराबें? काहे का गुणगान, तुम्हारी अइसी तइसी.


ई पइसन है हमारा. बाप के पैसों पे फैशन करने चले हैं. एक ईंट का नाम भगवान, दूसरी का दास, तीसरी का मिश्रा और तोड़ दी तीन ईंट. बाकी की दो ईंट अनुराग कश्यप ने जोड़ी थीं- एक पर लिखा सरकार, दूसरी पर लिखा हमलावर भीड़. श्रवण सिंह ने ये पांचों ईंटें तोड़ दी. बदले में मिला 2500 रुपया, जिससे आएगा जूता. भीगा हुआ जूता.

प्रतियोगिता करेंगे. अंग भंग कर दें?
अपनी छाती पर मुट्ठी न मलना न जाने कितनी प्रेम कहानियों को खत्म कर गया? साइन लेंगुएज गूंगों तक नहीं रहनी चाहिए.

जो नहीं हारता है वो भुगतता है. बिना शक्ति के शिव भी शव है. अपने टेलेंट का प्रमाणपत्र लेकर सोसाइटी में झंडा गाड़ने निकले हो, दांत चियार के टें बोल जाओगे. ज्यादा इमपोरटेंट है तुम किसको जानते हो, किसको पहचानते हो. कौन तुमको मानता है. बेदाग डिटर्जेंट द्वारा प्रायोजित.

बॉक्सिंग में जीते कप का एक टुकड़ा मुंह पर लगाइए बकवास बंद. दूसरा टुकड़ा पिछवाड़े पर लगाइए हगवास बंद.

पद्मावती फिल्म के विरोध पर प्रोफेसर इरफान हबीब ने मुझसे कहा था- ये विरोध बताता है कि देश से अब भी जातिवाद खत्म नहीं हुआ है. क्या होता है राजपूत प्राइड?

'कौन हो ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य?'
वही जो आपसे बोला नहीं जा रहा है. चौथे वाले...'


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